नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर हुई बातचीत में बेहद साफ संदेश दिया कि भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को न तो स्वीकार करता है और न ही भविष्य में करेगा।
करीब 35 मिनट चली इस बातचीत की जानकारी विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दी। उन्होंने बताया कि यह वार्ता ऐसे समय हुई जब जी-20 शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं की आमने-सामने मुलाकात होनी थी, लेकिन ट्रंप की अमेरिका वापसी के कारण यह संभव नहीं हो पाई। इसके बाद ट्रंप के अनुरोध पर दोनों नेताओं के बीच फोन पर चर्चा हुई, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उनकी पहली सीधी बातचीत थी।
मिस्री के अनुसार, पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान के साथ हालिया सीजफायर और सैन्य तनाव में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही। भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच संवाद मौजूदा सैन्य चैनलों के जरिए ही हुआ और यह बातचीत पाकिस्तान के अनुरोध पर हुई थी।
ट्रंप को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। पीएम मोदी ने कहा कि 6-7 मई की रात भारत ने पाकिस्तान और पीओके में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। यह संदेश पूरी दुनिया के लिए था कि भारत अब आतंकवाद को ‘प्रॉक्सी वॉर’ नहीं, बल्कि खुले युद्ध के रूप में देखता है।
सचिव ने खुलासा किया कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी को फोन कर आगाह किया था कि पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है। इस पर पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर ऐसा हुआ, तो भारत और भी कड़ा जवाब देगा—और वही हुआ। भारत ने 9-10 मई की रात पाकिस्तान के हमले का सशक्त जवाब देकर उसकी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया।
बातचीत के अंत में ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह अमेरिका लौटते समय रास्ते में उनसे मुलाकात कर सकते हैं, लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों की व्यस्तता के कारण पीएम मोदी ने असमर्थता जताई। दोनों नेताओं ने निकट भविष्य में आमने-सामने मिलने पर सहमति जताई।