तीन महीने बाद ग़ाज़ा में पहुँची राहत की पहली किरण, UN बोला – “ये तो बस शुरुआत है, ज़मीनी हालात अब भी बेहद भयावह”

तेल अवीव/ग़ाज़ा: लगातार तीन महीनों की नाकाबंदी और भूख-प्यास के संघर्ष के बाद, ग़ाज़ा पट्टी में आखिरकार सोमवार को राहत की पहली सांस पहुंची। पांच ट्रकों में लदी अत्यावश्यक सामग्री, जिसमें शिशुओं के लिए दूध पाउडर भी शामिल है, केरम शालोम सीमा चौकी के ज़रिए ग़ाज़ा में दाखिल हुई। ये मदद इज़राइल और संयुक्त राष्ट्र की संयुक्त मंजूरी के बाद ही संभव हो सकी।

20 लाख जिंदगियों को मिली थोड़ी राहत, पर संकट अभी टला नहीं

इज़राइली रक्षा समन्वय एजेंसी COGAT ने इसे ग़ाज़ा में फंसे लाखों लोगों के लिए “राहत की किरण” बताया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसी ने स्पष्ट किया कि यह मदद “समंदर में एक बूंद” से ज़्यादा नहीं। UN के मानवीय सहायता प्रमुख टॉम फ्लेचर ने चेतावनी दी कि ग़ाज़ा अब भी भुखमरी की कगार पर खड़ा है, और कुछ ट्रकों से हालात नहीं बदलने वाले।

सुरक्षा संकट: राहत भी खतरे में

UN का कहना है कि ज़मीनी हालात इतने अस्थिर हैं कि राहत सामग्री के लूटे जाने का खतरा भी बना हुआ है। फ्लेचर ने इज़राइल से अपील की है कि वह ग़ाज़ा के उत्तर और दक्षिण में कई राहत गलियारों को खोले ताकि मदद सुरक्षित और नियमित रूप से पहुंच सके।

सहायता के साथ-साथ हमले भी जारी

इधर राहत की उम्मीदें जगी ही थीं कि इज़राइल ने एक बार फिर ग़ाज़ा पर ज़मीनी और हवाई हमले तेज़ कर दिए हैं। ग़ाज़ा के दूसरे सबसे बड़े शहर खान यूनुस को फिर खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं। यह वही इलाका है जो पहले की सैन्य कार्रवाई में पूरी तरह तबाह हो गया था।

नेतन्याहू का ऐलान – ‘ग़ाज़ा पर होगा पूरा नियंत्रण’

इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि इज़राइल का मकसद ग़ाज़ा पर पूरा नियंत्रण स्थापित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि राहत वितरण में हमास की कोई भूमिका नहीं होगी और इज़राइल ग़ाज़ा के निवासियों को “स्वेच्छा से अन्य देशों में पलायन” के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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