‘डबल जलेबी’ से राष्ट्रीय टीम तक: अंगद बीर सिंह ने भारतीय हॉकी में बनाई जगह

नई दिल्ली। युवा हॉकी खिलाड़ी अंगद बीर सिंह भारतीय हॉकी में नया सितारा बनकर उभरे हैं। हीरो हॉकी इंडिया लीग में वेदांता कलिंगा लांसर्स के लिए खेलते हुए उन्होंने शूटआउट में दुनिया के बेहतरीन गोलकीपरों में से एक, डेविड हार्टे (तमिलनाडु ड्रैगन्स) के खिलाफ शानदार ‘डबल जलेबी’ गोल दागा, जिसने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। इस शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्हें एफआईएच प्रो लीग 2024-25 के भारत चरण के लिए पहली बार भारतीय सीनियर पुरुष हॉकी टीम में शामिल किया गया, जहां उन्होंने भुवनेश्वर में आयरलैंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया।

शानदार जूनियर करियर

अंगद इससे पहले जूनियर स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। उन्होंने 2022 सुल्तान ऑफ जोहोर कप में स्वर्ण, 2023 सुल्तान ऑफ जोहोर कप में कांस्य और 2023 पुरुष जूनियर एशिया कप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा साबित की थी।

पहला अंतरराष्ट्रीय मैच और भावनाएं

हॉकी इंडिया की ओर से जारी बयान में अंगद ने अपनी पहली सीनियर अंतरराष्ट्रीय भिड़ंत को याद करते हुए कहा, “मैच से पहले मैं बेहद रोमांचित था। यह मेरे वर्षों की मेहनत का परिणाम था।” उन्होंने बताया कि जब मुख्य कोच क्रेग फुल्टन ने टीम के सामने उनके डेब्यू की घोषणा की, तो उनका उत्साह और भी बढ़ गया। 22 वर्षीय अंगद ने कहा, “उस पल मुझे महसूस हुआ कि कुछ खास होने वाला है।”

हालांकि, शुरुआती मिनटों में घबराहट थी, लेकिन जल्द ही वे सहज हो गए। उन्होंने बताया, “पहले मैं सतर्क था, गलती करने से बचना चाहता था, लेकिन फिर खुद से कहा कि यह भी एक आम मैच की तरह ही है। आत्मविश्वास रखो और खेल का आनंद लो। इसके बाद मैं पूरी तरह खेल में रम गया।”

सीनियर खिलाड़ियों और कोच का सहयोग

अंगद ने टीम के सीनियर खिलाड़ियों मनप्रीत सिंह, हार्दिक सिंह और संजय की तारीफ की। उन्होंने कहा, “सभी सीनियर खिलाड़ियों ने मेरा हौसला बढ़ाया। मनप्रीत और हार्दिक पूरे मैच में मेरा मार्गदर्शन कर रहे थे, और संजय के साथ मेरा तालमेल मैदान पर शानदार रहा।”

कोच क्रेग फुल्टन के सकारात्मक दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया, “मैच से पहले कोच ने मुझसे कहा था कि बस अपना खेल खेलो और इस पल का आनंद लो। गलतियों की चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूं।” ये शब्द हमेशा मेरे साथ रहेंगे और उन्होंने मुझे खुलकर खेलने की आज़ादी दी।

सीनियर स्तर पर नई चुनौतियां

अंगद ने जूनियर और सीनियर स्तर के खेल में अंतर बताते हुए कहा, “जूनियर स्तर पर खेल बुनियादी होता है, लेकिन सीनियर स्तर पूरी तरह रणनीतिक होता है। खेल की गति तेज होती है और हर कदम सोच-समझकर उठाना पड़ता है। मैं लगातार सीखने और अपने खेल में सुधार करने पर ध्यान दे रहा हूं।”

उन्होंने अपने लक्ष्यों के बारे में कहा, “मानसिक रूप से तैयार रहना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक तैयारी। मेरा लक्ष्य हर मैच में कुछ नया सीखना, अपनी टीम के साथियों से तालमेल बढ़ाना और अपने प्रदर्शन को निखारना है।”

ओलंपिक में स्वर्ण पदक का सपना

अंगद का सबसे बड़ा लक्ष्य भारत के लिए ओलंपिक स्वर्ण जीतना है। उन्होंने कहा, “टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में हमारी टीम ने कांस्य पदक जीते, लेकिन अब मैं उस टीम का हिस्सा बनना चाहता हूं जो भारत के लिए स्वर्ण लेकर आए।”

परिवार की खुशी

अपनी इस सफलता को लेकर उन्होंने अपने परिवार की प्रतिक्रिया को भी याद किया। उन्होंने कहा, “भारतीय टीम के लिए खेलना मेरे पिता का सपना था। मेरे डेब्यू मैच के दौरान पूरा परिवार और रिश्तेदार एक साथ मैच देख रहे थे। उनकी खुशी और गर्व ने इस पल को मेरे लिए और भी खास बना दिया।”

अंगद बीर सिंह का यह सफर न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय हॉकी के लिए भी एक उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा करता है।

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