नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनाव में अपूर्व सफलता हासिल करते हुए विश्वविद्यालय के 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों में से 23 पदों पर विजय प्राप्त की है। यह न केवल ABVP के लिए बल्कि समग्र छात्र राजनीति के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह जीत किसी अन्य छात्र संगठन से कहीं अधिक है।
ABVP के जेएनयू इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने इस जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमने जेएनयूएसयू काउंसिल के 42 में से 23 सीटों पर कब्जा जमाया है, जिससे अब काउंसिल में ABVP की स्थिति मजबूत हो गई है। हमारी जीत का मतलब है कि जेएनयू के छात्रों ने एक सकारात्मक बदलाव की ओर कदम बढ़ाया है और ABVP के विचारों को समर्थन दिया है।”
ABVP के शानदार प्रदर्शन की एक झलक
- स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज: 5 में से 2 सीटों पर जीत
- स्कूल ऑफ सोशल साइंस: 5 में से 2 सीटों पर जीत
- स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी: 2 में से 1 सीट पर जीत
- स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन: 1 में से 1 सीट पर जीत
- स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंस: 2 में से 1 सीट पर जीत
- स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस: 3 में से 2 सीटों पर जीत
- स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग: 4 में से 4 सीटों पर पूरी तरह कब्जा
- स्पेशल सेंटर फॉर नैनोसाइंस: 1 में से 1 सीट पर जीत
- स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज: 3 में से 3 सीटों पर पूर्ण बहुमत
- अमलगमेटेड सेंटर: 2 में से 2 सीटों पर जीत
- स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंस: 2 में से 1 सीट पर जीत
- अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप: 1 में से 1 सीट पर जीत
- स्कूल ऑफ फिजिकल साइंस: 3 में से 2 सीटों पर जीत
अभाविप की दो ऐतिहासिक जीत
- स्कूल ऑफ सोशल साइंस: जहाँ 25 साल बाद ABVP ने दो सीटों पर विजय प्राप्त की है, यह जीत वामपंथी प्रभाव को चुनौती देती है।
- स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज: यहाँ ABVP ने दो सीटों पर विजय हासिल कर वामपंथी प्रभाव को चुनौती देते हुए नए राजनीतिक दृष्टिकोण को अपनाया है।
केंद्रीय पैनल की शानदार लीड
ABVP के केंद्रीय पैनल के चार प्रमुख पदों—अध्यक्ष शिखा स्वराज, उपाध्यक्ष निट्टू गौतम, महासचिव कुणाल राय, और संयुक्त सचिव वैभव मीणा—पर भी शुरुआत से ही स्पष्ट बढ़त बनी हुई है, जो इस ऐतिहासिक जीत की ओर इशारा करती है।
इस अभूतपूर्व प्रदर्शन ने जेएनयू छात्रसंघ राजनीति में ABVP को एक नई शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है।