भोपाल। पानी की एक-एक बूंद को सहेजने के संकल्प के साथ मध्य प्रदेश में 90 दिनों तक चले ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ का आज भव्य समापन खंडवा में होने जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअली जुड़कर प्रदेशवासियों को संबोधित करेंगे। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस मौके पर 1,518 करोड़ रुपये से अधिक की जल संरक्षण परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करेंगे।
वॉटरशेड सम्मेलन और जल परियोजनाओं का लोकार्पण
अभियान के समापन समारोह में वॉटरशेड सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें जल संरक्षण के क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय कार्यों को साझा किया जाएगा। जनसंपर्क अधिकारी शिवम शुक्ल के अनुसार, इस अभियान के अंतर्गत मनरेगा योजना से 578 करोड़ रुपये की लागत से 57,207 जल संरक्षण कार्य, वॉटरशेड विकास योजना से 63 करोड़ रुपये की लागत से 888 कार्य, और निगरानी के लिए वॉटरशेड वर्क मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का भी लोकार्पण किया जाएगा।
सिंचाई परियोजनाओं से 21 गांवों को राहत
मुख्यमंत्री डॉ. यादव जल संसाधन विभाग की चार महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिनकी कुल लागत 312.77 करोड़ रुपये है। इससे 8,557 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा मिलेगी और 21 गांवों के 7,260 किसान लाभांवित होंगे।
90 दिन, 90 हज़ार तालाब – बारिश की हर बूंद का संरक्षण
30 मार्च को उज्जैन से शुरू हुए इस राज्यव्यापी अभियान में 84,930 खेत तालाब बनाए गए, जो तय लक्ष्य से लगभग 7,000 अधिक हैं। इसके अलावा, 1,283 अमृत सरोवर का निर्माण कार्य भी तेज़ी से जारी है। पुराने जल स्रोतों के पुनरुद्धार के तहत 20,955 कार्य पूर्ण किए गए।
जलस्तर में दिखने लगा बदलाव
राज्य सरकार द्वारा बनाए गए 1 लाख 4 हजार से अधिक रिचार्ज पिट्स से प्रदेश के कई क्षेत्रों में कुओं का जलस्तर बढ़ने लगा है। मानसून की पहली बारिश में ही खेत तालाबों में पानी भर गया है और कुएं पुनः जीवित हो रहे हैं।
तकनीक से जलसंवर्धन – सॉफ्टवेयर आधारित योजना
इस बार जल संवर्धन कार्यों में तकनीक का भी बड़ा योगदान रहा। सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर की मदद से पानी के बहाव की दिशा तय की गई और उसी अनुसार तालाब, सरोवर और रिचार्ज पिट का निर्माण किया गया। यह राज्य में पहली बार हुआ है जब इतने बड़े स्तर पर जल संरक्षण कार्य तीन महीनों में पूर्ण हुए।
टॉप 10 जिलों की शानदार परफॉर्मेंस
अभियान में अग्रणी रहने वाले टॉप 10 जिलों में खंडवा, बालाघाट, रायसेन, उज्जैन, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, राजगढ़, अशोकनगर, बैतूल और मंडला शामिल हैं। इन जिलों ने जल स्रोतों के संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय नवाचार और क्रियान्वयन किया है।
जल गंगा संवर्धन अभियान सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह एक जनआंदोलन बन चुका है – जिसका प्रभाव अब धरातल पर साफ नजर आने लगा है। प्रदेश का यह जल मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।