जल कृषि करने वाले किसानों के लिए बीमा पर प्रोत्साहन

नई दिल्ली। मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक की अवधि के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत एक नई केंद्रीय उप-योजना प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) शुरू की है। इस योजना का अनुमानित बजट 6000 करोड़ रुपये है, जिसमें 3000 करोड़ रुपये सार्वजनिक वित्त से और 3000 करोड़ रुपये निजी निवेश से आएंगे। इस संबंध में जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने राज्यसभा में दी।

इस उप-योजना के चार प्रमुख घटकों में मत्स्य क्षेत्र का आधुनिकीकरण, कार्यशील पूंजी वित्तपोषण में सहायता, जलीय कृषि बीमा को बढ़ावा देना, और मछली उत्पादों की गुणवत्ता व सुरक्षा मानकों को मजबूत करना शामिल है। इसके तहत नेशनल फिशरीज़ डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) भी 11 सितंबर 2024 को लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को डिजिटल पहचान देकर औपचारिक बनाना है। यह संस्थागत ऋण, फिशरीज़ ट्रेसबिलिटी, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए भी एक केंद्रीकृत समाधान प्रदान करेगा।

बीमा प्रोत्साहन योजना के तहत लाभ
पीएम-एमकेएसएसवाई के अंतर्गत जल कृषि बीमा अपनाने वाले किसानों को एकमुश्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना में दो प्रकार के बीमा कवर शामिल हैं—

  1. मूल बीमा: प्राकृतिक आपदाओं, दंगों, प्रदूषण, फार्म संरचनाओं के नुकसान आदि से होने वाले उत्पादन हानि को कवर करता है।
  2. व्यापक बीमा: मूल बीमा के अंतर्गत आने वाले सभी खतरों के साथ-साथ बीमारियों से होने वाली हानि को भी कवर करता है।

सरकार द्वारा जल कृषि बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम का 40% तक प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके तहत अधिकतम ₹25,000 प्रति हेक्टेयर और चार हेक्टेयर तक के क्षेत्र के लिए ₹1 लाख तक की सहायता मिलेगी। गहन जल कृषि प्रणालियों (फार्म, केज कल्चर, बायो-फ्लोक आदि) के लिए यह सहायता 1800 घन मीटर प्रति किसान के लिए ₹1 लाख तक होगी। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।

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