पोरबंदर। पोरबंदर के अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) के पास गुजरात एटीएस और भारतीय कोस्ट गार्ड (आईसीजी) ने मिलकर 1800 करोड़ रुपये की कीमत वाली 300 किलो ड्रग्स बरामद की हैं। यह ड्रग्स पाकिस्तान की एक फिशिंग बोट से गुजरात के तट पर लाई गई थी और इसे तमिलनाडु भेजे जाने की तैयारी थी। बरामद ड्रग्स मेथमफेटामाइन नामक प्रतिबंधित पदार्थ है। इसे आगे की जांच के लिए आईसीजी के जहाज से पोरबंदर लाया गया है।
गुजरात एटीएस के डीआईजी सुनील जोशी ने बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि पाकिस्तान का ड्रग माफिया, फीदा, 400 किलो अवैध ड्रग्स एक फिशिंग बोट के जरिए गुजरात भेजने वाला है। सूचना के अनुसार, यह फिशिंग बोट 12 अप्रैल की शाम 8 बजे से 13 अप्रैल की सुबह 4 बजे के बीच पोरबंदर से करीब 190 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास पहुंचने वाली थी। यह खेप फिर तमिलनाडु भेजे जाने वाली थी। जोशी ने बताया कि इस सूचना के बाद एटीएस ने कोस्ट गार्ड से संपर्क किया और समुद्री ऑपरेशन में सहायता मांगी।
कोस्ट गार्ड के कमांडर अमित उनियाल ने बताया कि इस सूचना पर ऑपरेशन की योजना बनाई गई और एक आईसीजी जहाज को तैनात किया गया। जहाज ने संदिग्ध नाव को पहचाना और जब नाव ने ड्रग्स को समुद्र में फेंकने की कोशिश की, तो आईसीजी ने उसे पकड़ने के लिए अपनी टीम को भेजा। समुद्री नाव ने कठिन परिस्थितियों में 311 पैकेट ड्रग्स बरामद किए, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1800 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
इस मामले में गुजरात एटीएस ने प्राथमिकी दर्ज की है और जांच शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर इस बरामदगी की जानकारी राज्य के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी और आईसीजी ने साझा की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस सफलता को बड़ी उपलब्धि बताते हुए गुजरात एटीएस और आईसीजी की सराहना की।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने इस मामले में बयान देते हुए कहा कि गुजरात ड्रग्स का प्रवेश द्वार बन गया है, जिससे राज्य के युवाओं का भविष्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया कि क्यों निजी बंदरगाहों पर ड्रग्स पहुंचने की जांच नहीं की जा रही और ड्रग्स सिंडिकेट के मास्टरमाइंड का पता क्यों नहीं लगाया जा रहा है। 2018 से अब तक, गुजरात एटीएस ने समुद्री मार्ग से 5400 किलो ड्रग्स बरामद की हैं, जिनकी कीमत 10,000 करोड़ रुपये है।