अहमदाबाद। गुजरात की सियासत एक बार फिर गर्माने जा रही है, क्योंकि कड़ी और विसावदर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। चुनाव आयोग ने शनिवार को जानकारी दी कि इन दोनों सीटों पर 19 जून को मतदान कराया जाएगा और नतीजे 23 जून को घोषित किए जाएंगे। नामांकन प्रक्रिया 26 मई से शुरू होगी।
कड़ी सीट भाजपा विधायक करशन सोलंकी के निधन के कारण खाली हुई थी, जबकि विसावदर सीट आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक भूपत भायाणी के इस्तीफे से खाली हुई है। उपचुनाव की घोषणा के साथ ही सभी प्रमुख दलों ने अपनी रणनीति तेज़ कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 26-27 मई को गुजरात दौरे पर रहेंगे, जिससे यह चुनाव और अधिक राजनीतिक महत्व हासिल कर गया है।
त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, AAP पहले ही उतार चुकी उम्मीदवार
विसावदर सीट पर AAP ने पहले ही गोपाल इटालिया को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। वहीं कांग्रेस और AAP ने 2022 में भले ही साथ चुनाव लड़ा हो, इस बार दोनों आमने-सामने होंगे। कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की हाल ही में अहमदाबाद में बैठक हुई, जहां प्रदेश अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने साफ तौर पर कहा कि AAP ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है।
भाजपा एक ओर जहां कड़ी की पारंपरिक सीट बचाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर AAP से विसावदर सीट छीनने के लिए पूरी ताकत झोंकने जा रही है। यानी मुकाबला दिलचस्प और कांटे का होने वाला है।
हाईकोर्ट की पृष्ठभूमि में विसावदर सीट, अब साफ रास्ता
गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में विसावदर सीट से AAP के भूपत भायाणी ने भाजपा के हर्षद रिबड़िया को 7,063 वोटों से हराया था। हालांकि उनके नामांकन फॉर्म में कथित त्रुटियों को लेकर हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें से दो याचिकाएं अब वापस ली जा चुकी हैं, जिससे उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
वोटरों की संख्या और नई एंट्री
कड़ी सीट पर अब तक कुल 2,89,746 मतदाता हैं, जिसमें 1,49,719 पुरुष, 1,40,023 महिलाएं और 4 तृतीय लिंग के मतदाता शामिल हैं। यहां 376 नए वोटर जुड़े हैं। वहीं विसावदर में कुल मतदाता संख्या 2,61,052 है, जिनमें 1,35,597 पुरुष, 1,25,451 महिलाएं और 4 तृतीय लिंग के मतदाता हैं। यहां 185 नए मतदाता जुड़े हैं।
राजनीतिक भविष्य की अग्निपरीक्षा
कड़ी और विसावदर सीटों के उपचुनाव न केवल इन क्षेत्रों की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि राज्य में आगामी समीकरणों का भी संकेत देंगे। सभी दलों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है और मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी। 19 जून को होने वाला मतदान गुजरात की राजनीति का अगला बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
