संयुक्त राष्ट्र/गाजा। गाजा में हालात हर दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि साफ पानी, स्वच्छता और ईंधन की भारी कमी के चलते गाजा में गंभीर और रोकथाम योग्य बीमारियों का विस्फोट हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) के मुताबिक, बीते दो हफ्तों में 19,000 से ज्यादा लोगों में तीव्र डायरिया (लूज मोशन) के मामले सामने आए हैं, जबकि पीलिया और खूनी दस्त जैसे बीमारियों के भी 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
मानवीय राहत कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह स्वास्थ्य संकट गाजा में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का नतीजा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही पर्याप्त ईंधन, मेडिकल सप्लाई और स्वच्छता संबंधी सामग्री नहीं पहुंचाई गई, तो हालात पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं।
इस बीच, डेर अल-बलाह में इजरायली हवाई हमले ने अल अक्सा अस्पताल को भी निशाना बनाया। हमले में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 घायल हुए। घायलों को नासेर मेडिकल कॉम्प्लेक्स समेत अन्य अस्पतालों में भेजा गया है।
OCHA ने साफ शब्दों में कहा, “गाजा में आम नागरिक अब रोजाना या तो हवाई हमलों में मारे जा रहे हैं, या खाने की तलाश में घायल हो रहे हैं। यह स्थिति किसी भी सूरत में सामान्य नहीं मानी जा सकती और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।”
इस संकट के बीच एक राहत की खबर यह है कि मार्च में इजरायली नाकाबंदी लागू होने के बाद पहली बार चिकित्सा सामग्री की खेप गाजा पहुंची है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, नौ ट्रकों में लाए गए 2,000 यूनिट रक्त और 1,500 यूनिट प्लाज्मा को प्राथमिकता वाले अस्पतालों में भेजा गया है, विशेषकर नासेर मेडिकल कॉम्प्लेक्स में, जहां इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
हालांकि WHO ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आपूर्ति जरूरतों के मुकाबले बेहद सीमित है।
OCHA ने कहा कि यदि मानवीय राहत और जरूरी व्यापारिक सामानों के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित नहीं किया गया, तो लूटपाट, अराजकता और जनस्वास्थ्य संकट और गहराएंगे। उन्होंने बताया कि बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के 17 राहत अभियानों में से छह को इजरायली अधिकारियों ने खारिज कर दिया, जिनमें सड़क मरम्मत और पानी आपूर्ति जैसी बुनियादी जरूरतें शामिल थीं।
वहीं वेस्ट बैंक में भी फिलिस्तीनियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने गहरी चिंता जताई है।
संक्षेप में, गाजा में हालात अब सिर्फ युद्धग्रस्त नहीं, बल्कि महामारी की ओर बढ़ते प्रतीत हो रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह संकट और विकराल रूप ले सकता है।