देश के कई हिस्सों में गर्मी ने आग उगलना शुरू कर दिया है। खासकर उत्तर भारत, राजस्थान, यूपी, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में पारा 45 डिग्री तक पहुंचने को तैयार है। इस बार मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि हीटवेव के दिन पहले से 7-8 ज्यादा हो सकते हैं।
जहां शहरों में लोग एसी-कूलर के भरोसे हैं, वहीं गांवों में अब भी देसी और टिकाऊ नुस्खों से गर्मी को मात दी जा रही है। ये उपाय न केवल सस्ते हैं, बल्कि प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। आइए जानते हैं कैसे ग्रामीण भारत अपने पारंपरिक तरीकों से तपती लू और झुलसती धूप से खुद को बचा रहा है — और हमें भी सीख दे रहा है।
1. चेक डैम: पानी का देसी ‘बैंक’
गर्मी में जब तालाब सूखने लगते हैं, गांवों में स्थानीय लोग मिलकर चेक डैम बनाते हैं। इससे बारिश का पानी जमा होता है और भूजल स्तर (Groundwater Level) भी रीचार्ज हो जाता है। नतीजा – भीषण गर्मी में भी जल संकट नहीं होता।
2. मिट्टी की दीवारें: प्राकृतिक एयर-कंडीशनर
गांवों के घर आज भी मिट्टी और ईंट से बने होते हैं। इन पर गोबर और मिट्टी की लेप चढ़ाई जाती है जो गर्मी में दीवारों को ठंडा बनाए रखती है। वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां और अरहर की डंडियों से बनी सलाखें ठंडी हवा का रास्ता बनाती हैं।
3. पत्तों की छत: टिन की तपन से राहत
टिन की छतें धूप में तवे जैसी गर्म हो जाती हैं। गांवों में लोग इन्हें नीम या पलाश के पत्तों से ढक देते हैं, जिससे अंदर का तापमान काफी हद तक घट जाता है।
4. नीम के पत्तों से पशुओं की सुरक्षा
तेज गर्मी जानवरों पर भी असर डालती है। गांवों में लोग नीम के पत्तों और सूती कपड़े से गाय-भैंसों को ढकते हैं और उन्हें दिन में मड़ई में बांधते हैं ताकि धूप से बचाव हो सके।
5. दिनचर्या में बदलाव: सुबह जल्दी, दोपहर आराम
गांवों में लोग गर्मी के दिनों में सुबह जल्दी उठकर खेती-बाड़ी का काम निपटा लेते हैं, ताकि तेज धूप में बाहर निकलना न पड़े। यह तरीका डिहाइड्रेशन और चक्कर से भी बचाव करता है।
6. खानपान में हल्कापन: छाछ और सादा भोजन
गर्मी में तला-भुना खाने से परेशानी हो सकती है। इसलिए गांवों में छाछ, नींबू पानी और हल्का भोजन खाया जाता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और शरीर को अंदर से ठंडक देता है।
7. पेड़-पौधे: छांव का प्राकृतिक तोहफा
गांवों में नीम, आम, बेर और शरीफा जैसे छायादार पेड़ लगाए जाते हैं, ताकि खेतों और घरों के आसपास प्राकृतिक ठंडक बनी रहे।