पटियाला। नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान (NSNIS) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “हरमोनाइजिंग मूवमेंट: योग और खेल विज्ञान का समन्वय” में विशेषज्ञों ने खिलाड़ियों को नींद की अनदेखी और हर्बल सप्लीमेंट्स के अंधाधुंध इस्तेमाल से बचने की सख्त चेतावनी दी। उनका कहना है कि ये दोनों ही बातें न केवल प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल सकती हैं।
योग से बेहतर होती है नींद और मानसिक नियंत्रण: विशेषज्ञ
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतबीर सिंह खालसा ने कहा कि योग के नियमित अभ्यास से नींद की गुणवत्ता सुधरती है, जिससे मोटापा, मधुमेह, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
“नींद शारीरिक और मानसिक पुनर्प्राप्ति के लिए बेहद जरूरी है। खेल प्रशिक्षण में इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।”
पूर्व भारतीय महिला हॉकी कप्तान रानी रामपाल ने भी योग के मानसिक लाभों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि योग अभ्यास से मानसिक संतुलन बनता है, जो प्रतिस्पर्धा के दबाव भरे क्षणों में बेहद जरूरी होता है।
हर्बल सप्लीमेंट्स के उपयोग को लेकर चेतावनी
सम्मेलन में हर्बल सप्लीमेंट्स के असावधानीपूर्ण इस्तेमाल पर भी गंभीर चिंता जताई गई। साई के एथलेटिक्स हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर डॉ. वज़ीर सिंह फोगाट ने कहा कि खिलाड़ी अपनी शक्ति, सहनशक्ति, रोग प्रतिरोधक क्षमता और रिकवरी को बढ़ाने के लिए अकसर हर्बल सप्लीमेंट्स का रुख करते हैं, जिन्हें सामान्यतः “प्राकृतिक और सुरक्षित” मान लिया जाता है।
हालांकि, खेल मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के बीच नाडा ने 186 डोपिंग उल्लंघन के मामले दर्ज किए, जिनमें सबसे अधिक मामले एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग और पावरलिफ्टिंग में सामने आए।
एम्स दिल्ली के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. शिवकुमार हारती ने कहा कि हर्बल सप्लीमेंट्स का उपयोग व्यक्तिगत जरूरतों, शारीरिक स्थिति और प्रशिक्षण की तीव्रता के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
बिना विशेषज्ञ सलाह के सेवन खतरनाक
खेल पोषण विशेषज्ञ डॉ. वाणी भूषणम गोला ने चेताया कि बिना पेशेवर सलाह के सप्लीमेंट्स का सेवन विषाक्तता या हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा:
“सप्लीमेंट्स केवल संतुलित आहार और रिकवरी प्लान के पूरक होने चाहिए, उन्हें कभी भी मुख्य विकल्प नहीं बनाना चाहिए।”
एनएसएनआईएस पटियाला की पूर्व डीन, डॉ. सरला ने नकली और घटिया क्वालिटी वाले सप्लीमेंट्स के खतरे को रेखांकित करते हुए कड़े नियामक ढांचे की जरूरत पर बल दिया।
वैज्ञानिक प्रमाण और जागरूकता की जरूरत
सम्मेलन के सभी विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि खिलाड़ियों और कोचों को हर्बल सप्लीमेंट्स के वैज्ञानिक और साक्ष्य-आधारित इस्तेमाल की जानकारी दी जानी चाहिए। साथ ही, खिलाड़ियों की आवश्यकताओं के अनुसार और अधिक शोध किए जाने की जरूरत है, ताकि इन उत्पादों की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध हो सकें।