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क्रिसिल की रिपोर्ट में अनुमान: 2026 में महंगाई रहेगी काबू में, आम आदमी को मिल सकती है राहत

नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। क्रिसिल की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 में हेडलाइन मुद्रास्फीति यानी महंगाई दर औसतन 4 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है। यह दर पिछले वित्त वर्ष में 4.6 प्रतिशत थी। यानी आने वाले समय में खाने-पीने से लेकर ईंधन तक, कई चीजों के दाम काबू में रह सकते हैं।

रेपो रेट में और कटौती संभव
क्रिसिल ने संकेत दिया है कि महंगाई में इस गिरावट के चलते रिजर्व बैंक (RBI) एक और बार रेपो रेट घटा सकता है। इससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्ज सस्ते हो सकते हैं, जिससे आम आदमी की जेब पर बोझ कम पड़ेगा।

सीपीआई में गिरावट, खाने-पीने की चीजें सस्ती
रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति गिरकर 2.8% पर आ गई, जो फरवरी 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। अप्रैल में यह 3.2% थी। खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई भी कम हुई है—खासकर दालें, सब्जियां और मसाले सस्ते हुए हैं। अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति 1.8% थी, जो मई में घटकर 1% पर आ गई। यह अक्टूबर 2021 के बाद की सबसे कम दर है।

ईंधन और कोर मुद्रास्फीति में भी राहत
ईंधन महंगाई भी हल्की गिरावट के साथ 2.9% से घटकर 2.8% पर पहुंच गई है। वहीं, कोर मुद्रास्फीति (जो खाद्य और ईंधन को छोड़कर बाकी वस्तुओं की कीमतों से जुड़ी होती है) मई में घटकर 4.18% रही, जो इसके दशकीय औसत 4.9% से नीचे है।

थाली हुई सस्ती, मानसून बना वरदान
क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक और रिपोर्ट में बताया गया कि मई में शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमत में साल दर साल 6% की कमी आई है। सब्जियों की कीमत में गिरावट इसका बड़ा कारण रही। कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस बार रबी की फसल अच्छी रही है और गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है।

मौसम विभाग (IMD) ने भी इस साल सामान्य से बेहतर मानसून (LPA का 106%) का अनुमान जताया है, जिससे खरीफ फसलों के लिए अच्छी बारिश की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, मानसून सही रहा तो इस बार भी खाद्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगेगी।

क्रूड ऑयल भी काबू में
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतें भी इस साल 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने की संभावना है। यदि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव नहीं बढ़ते, तो इससे गैर-खाद्य मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण बना रहेगा।

निष्कर्ष:
अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले सालों में महंगाई से राहत मिल सकती है। अच्छे मानसून, स्थिर वैश्विक तेल कीमतें और नियंत्रित खाद्य महंगाई—ये सभी फैक्टर मिलकर आम उपभोक्ता के लिए सुकून भरे दिन ला सकते हैं।

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