कोलंबिया ने बदला रुख, पाकिस्तान को कूटनीतिक झटका – भारत की मजबूत पैरवी का असर

बोगोटा/फ्रीटाउन/कोपेनहेगन। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक और करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। भारत के दबाव और सटीक कूटनीति के बाद कोलंबिया ने वह आधिकारिक बयान वापस ले लिया है जिसमें पाकिस्तान में हुई मौतों पर ‘भारतीय हमलों’ को लेकर संवेदना जताई गई थी। इस बयान से भारत में गहरी नाराजगी थी।

भारतीय संसद के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व में पहुंचे वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कोलंबिया सरकार से इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम कोलंबिया की प्रतिक्रिया से निराश हैं।” इसके बाद कोलंबिया की उप विदेश मंत्री योलांडा विलाविसेनियो ने स्पष्ट किया कि उन्हें अब पूरी जानकारी मिल चुकी है और उसी के आधार पर उन्होंने संवाद जारी रखने की बात कही।

शशि थरूर ने कोलंबिया द्वारा बयान वापस लेने पर संतोष जताते हुए कहा, “आतंकवाद का समर्थन कोई नहीं कर सकता, और हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया भारत की वास्तविक स्थिति को समझेगी।”

इस बीच, भारतीय प्रतिनिधिमंडल की पश्चिमी अफ्रीका के देश सिएरा लियोन यात्रा भी सुर्खियों में है। वहां कार्यवाहक विदेश मंत्री फ्रांसेस पी. अल्घाली से मुलाकात कर भारतीय प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और विशेष रूप से पहलगाम हमले में उसकी भूमिका को उजागर किया। मंत्री अल्घाली ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ प्रयासों की खुलकर सराहना की।

भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने फ्रीटाउन में पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेताया:
“यह नया भारत है – न रुकता है, न झुकता है और न ही गुनहगारों को माफ करता है। हम हर मोर्चे पर आतंकवाद का करारा जवाब देने में सक्षम हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को सिर्फ अपनी समस्या नहीं मानता, बल्कि इसे वैश्विक चुनौती मानते हुए दुनिया भर में जागरूकता फैला रहा है।

वहीं, बीजू जनता दल के सांसद सस्मित पात्रा ने पहलगाम हमले का दर्द साझा करते हुए कहा,
“एक आतंकवादी सिर्फ धर्म पूछकर किसी को गोली मार देता है – यह बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती। ऑपरेशन सिंदूर इसका जवाब था। हम पाकिस्तान में घुसे और आतंक को उसी की भाषा में जवाब दिया।”

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन से शिवसेना (यूटीबी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, “मैं मुंबई से आती हूं। 26/11 का दर्द अब भी ताजा है। एक महिला के तौर पर आतंकवाद का असर मेरी सोच और दृष्टिकोण दोनों पर पड़ा है। अब चुप रहना विकल्प नहीं है।”

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