AGRICULTURE

कृषि में बंपर उछाल! 12 साल में 54.6% की जबरदस्त वृद्धि, गेहूं-धान से लेकर केले-आलू तक की कमाई में बूम

नई दिल्ली। भारत का कृषि क्षेत्र लगातार प्रगति की राह पर है। सांख्यिकी मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 12 वर्षों में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन ने स्थिर मूल्यों पर 54.6% की जोरदार छलांग लगाई है। 2011-12 में जहां इसका कुल सकल मूल्य (GVO) 1,908 हजार करोड़ रुपए था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 2,949 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

लेकिन यही नहीं, मौजूदा बाजार कीमतों पर कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य संवर्धन (GVA) 225% तक उछल गया है, जो अब 4,878 हजार करोड़ रुपए पर आ चुका है। इसका साफ मतलब है कि खेती सिर्फ जीवन यापन का जरिया नहीं रही, बल्कि अब यह एक ताकतवर आर्थिक स्तंभ बन चुकी है।

फसलें बनीं ‘कमाई की रीढ़’

2023-24 में फसल क्षेत्र ने 1,595 हजार करोड़ रुपए के GVO के साथ कुल कृषि उत्पादन में 54.1% की हिस्सेदारी दर्ज की। अनाज और फल-सब्ज़ियों ने मिलकर फसली उत्पादन में 52.5% योगदान दिया। सबसे दिलचस्प बात यह रही कि गेहूं और धान ने मिलकर पूरे अनाज उत्पादन का लगभग 85% भार उठाया।

ये राज्य हैं कृषि के असली चैंपियन

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा – इन पांच राज्यों ने 2023-24 में कुल अनाज उत्पादन का 53% योगदान दिया। हालांकि, यूपी की हिस्सेदारी 2011-12 में 18.6% से घटकर 2023-24 में 17.2% हो गई।

फल-सब्ज़ियों में बदली तस्वीर

फल उत्पादों में जहां पहले आम का दबदबा था, अब उसे पछाड़ते हुए केला सबसे आगे निकल चुका है। 2023-24 में केले का GVO 47 हजार करोड़ और आम का 46.1 हजार करोड़ रुपए रहा। सब्ज़ियों में आलू का जलवा कायम है – इसका उत्पादन मूल्य 12 सालों में 21.3 हजार करोड़ से बढ़कर 37.2 हजार करोड़ रुपए हो गया।

फूलों और मसालों की खेती भी बनी मुनाफे का सौदा

बागवानी के क्षेत्र में फूलों की खेती भी किसानों के लिए कमाई का नया ज़रिया बनकर उभरी है। फूलों का उत्पादन 2011-12 के 17.4 हजार करोड़ से बढ़कर 28.1 हजार करोड़ पर पहुंच गया। वहीं मसालों में मध्य प्रदेश ने सबसे बड़ा योगदान (19.2%) देकर कर्नाटक और गुजरात को पीछे छोड़ा।

पशुधन और मछली पालन भी दिखा रहे ताकत

पशुपालन से होने वाली आमदनी भी काफी बढ़ी है – 2011-12 के 488 हजार करोड़ से 2023-24 में यह 919 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। हालांकि दूध का वर्चस्व थोड़ा कम हुआ है, मांस उत्पादों की हिस्सेदारी 19.7% से बढ़कर 24.1% हो गई है।

वहीं, मत्स्य पालन ने भी ज़बरदस्त ग्रोथ दिखाई है। इसका योगदान अब कृषि GVA में 7% तक पहुंच चुका है, जो 2011-12 में सिर्फ 4.2% था। खासतौर पर पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में इसमें तेज़ बदलाव देखा गया है।


निष्कर्ष: भारत का कृषि क्षेत्र सिर्फ फसल उत्पादन तक सीमित नहीं रहा। अब यह फूलों, मसालों, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे विविध क्षेत्रों में भी मजबूत पहचान बना रहा है। आंकड़े बताते हैं कि अगर यह रफ्तार बनी रही, तो आने वाले वर्षों में भारतीय खेती वैश्विक मंच पर भी आर्थिक चमक बिखेर सकती है।

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