एफपीआई की बिकवाली जारी, अप्रैल में 31,575 करोड़ रुपये के शेयर बेचे

नई दिल्ली। अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) इस महीने लगातार घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं। अप्रैल के पहले दो हफ्तों में एफपीआई ने भारतीय बाजार से कुल 31,575 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह आंकड़ा खास इसलिए है क्योंकि इससे पहले 21 से 28 मार्च के बीच एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 30,927 करोड़ रुपये का निवेश किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक एफपीआई ने कुल 1.48 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट, प्रशांत धामी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के बाद से वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। खासकर, अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर चल रहे विवाद ने पूरी दुनिया के शेयर बाजारों को प्रभावित किया है, और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। इस उथल-पुथल के कारण पिछले सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखी गई, लेकिन कुछ कारोबारी दिनों में इन सूचकांकों में जोरदार उछाल भी आया।

प्रशांत धामी ने यह भी कहा कि बाजार के इस उतार-चढ़ाव में एफपीआई की आक्रामक बिकवाली ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका मानना है कि वैश्विक अस्थिरता के कारण फिलहाल एफपीआई की रणनीति पर कुछ भी कहना मुश्किल है। हालांकि, जब बाजार में स्थिरता आएगी, तब विदेशी निवेशकों की रणनीति साफ हो सकेगी।

वहीं, खुराना सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ, रवि चंदर खुराना का कहना है कि मौजूदा संकेतों के आधार पर यह संभावना जताई जा रही है कि एफपीआई भविष्य में मीडियम टर्म में खरीदार की भूमिका में आ सकते हैं। उनका मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद के कारण दोनों देशों में आर्थिक सुस्ती आ सकती है, और इन परिस्थितियों में भारत के उत्पादों की मांग बढ़ सकती है। यदि ऐसा होता है, तो एफपीआई अमेरिकी और चीनी बाजारों से बाहर निकलकर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।

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