एनपीटी छोड़ सकता है ईरान! ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी को दी खुली चेतावनी, बोला- “आग से मत खेलो”

तेहरान/न्यूयॉर्क। ईरान ने परमाणु मुद्दे को लेकर एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए यूरोपीय ताकतों – ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी – को दो टूक चेतावनी दी है। तेहरान ने कहा है कि अगर इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र में उसके खिलाफ प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की कोशिश की, तो वह एनपीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि से खुद को कानूनी रूप से अलग कर सकता है।

यह चेतावनी ईरान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि सईद इरावानी ने सुरक्षा परिषद को भेजे एक आधिकारिक पत्र के जरिए दी। उन्होंने साफ कहा कि अगर तेहरान पर दबाव बनाने की कोशिश की गई, तो “आनुपातिक प्रतिक्रिया” दी जाएगी – जिसमें एनपीटी से बाहर निकलना भी शामिल होगा।

यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (ई-3) वियना में चल रही अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की बैठक में अमेरिका के साथ मिलकर ईरान के खिलाफ एक प्रस्ताव पर दबाव बना रहे हैं। यह प्रस्ताव IAEA की हालिया रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें ईरान पर कथित “अघोषित परमाणु गतिविधियों” को लेकर सहयोग न करने का आरोप है। इस प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिलती है, तो संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से बहाल करने का रास्ता खुल सकता है – जो 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) के तहत पहले हटाए गए थे।

ईरान ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए दावा किया कि यह इजराइल की शत्रुतापूर्ण खुफिया सूचनाओं पर आधारित हैं। इरावानी ने ई-3 के प्रयासों को न सिर्फ कानूनी रूप से गलत, बल्कि राजनीतिक रूप से भी “लापरवाह” करार दिया और चेतावनी दी कि इसका असर क्षेत्रीय और वैश्विक शांति पर पड़ेगा।

इस बीच ईरान की संसद ने भी इस मुद्दे पर राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन की सरकार को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है। संसद अध्यक्ष मोहम्मद-बकर कलीबाफ ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई से मुलाकात के दौरान कहा कि संसद परमाणु वार्ता की निगरानी को अपनी जिम्मेदारी मानती है और प्रशासन को मजबूती से समर्थन देगी।

इस पूरे घटनाक्रम पर रूस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। वियना में रूस के स्थायी प्रतिनिधि मिखाइल उल्यानोव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर ईरान के खिलाफ नया प्रस्ताव पारित किया गया, तो यह “आग से खेलने” जैसा होगा और इसका असर पूरे मध्य पूर्व को अस्थिर कर सकता है।

निष्कर्ष: परमाणु मुद्दे पर फिर गरमाया अंतरराष्ट्रीय माहौल। ईरान का कड़ा रुख और रूस की चेतावनी दर्शा रही है कि अगर पश्चिमी देश पीछे नहीं हटे, तो यह टकराव बड़ा रूप ले सकता है।

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