नई दिल्ली। भारत की डिजिटल यात्रा ने बीते एक दशक में जो छलांग लगाई है, वह किसी क्रांति से कम नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को बताया कि मोदी सरकार के नेतृत्व में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) में 90 गुना से ज्यादा की रिकॉर्ड बढ़त दर्ज की गई है।
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए आंकड़ों में उन्होंने कहा कि 2013-14 में जहां DBT के जरिए 7,368 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए थे, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा 6.83 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा, “हर लाभार्थी तक हर रुपया पहुंचे, यही सरकार का मकसद है और DBT ने इसे साकार किया है।”
सिर्फ DBT ही नहीं, रियल टाइम डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भी भारत ने दुनिया को पीछे छोड़ दिया है। वित्त मंत्री के मुताबिक, 2024-25 में 260 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के डिजिटल लेनदेन दर्ज किए गए, जो लगभग 18,600 करोड़ ट्रांजैक्शन के बराबर है।
सीतारमण ने कहा, “भारत अब सिर्फ तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि इनोवेशन, टेक-आधारित गवर्नेंस और ग्लोबल ट्रस्ट का हब बन चुका है। चाहे मैन्युफैक्चरिंग हो या स्पेस टेक्नोलॉजी, डिजिटल पेमेंट हो या गांव-गांव कनेक्टिविटी – बदलाव हर क्षेत्र में दिख रहा है।”
उन्होंने इस बदलाव को केवल तकनीकी प्लेटफॉर्म तक सीमित न मानते हुए कहा कि यह नागरिक सशक्तिकरण और ‘टेक-फर्स्ट’ विकसित भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने भी भारत की वित्तीय समावेशन की सफलता की कहानी साझा करते हुए बताया कि अब तक देश में 55.44 करोड़ जनधन खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें 56% महिलाएं खाता धारक हैं। इन खातों में अब तक 2.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जमा हो चुकी है।
इसके अलावा, डिजिटल पेमेंट में भी 35% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। हर दिन औसतन 60.81 करोड़ ट्रांजैक्शन हो रहे हैं, जिनमें से 83.73% यूपीआई आधारित हैं।
स्पष्ट है – भारत अब डिजिटल लीडर बन चुका है, और आने वाला समय इसे और ऊंचाइयों तक ले जाने वाला है।