नई दिल्ली: इस साल भले ही गर्मी ने जल्दी दस्तक दी हो, लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मॉनसून को लेकर राहत भरी खबर दी है। मंगलवार को IMD ने बताया कि इस साल मॉनसून में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। इससे न सिर्फ किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि आम जनता को भी गर्मी से बड़ी राहत मिल सकती है।
IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस मॉनसून सीजन में अल नीनो जैसी कोई स्थिति नहीं बनेगी, जो आमतौर पर कम बारिश से जुड़ी होती है। जून से सितंबर के बीच चार महीने के इस मॉनसून काल में सामान्य से ज्यादा बारिश के आसार हैं।
मॉनसून देगा अच्छी बरसात
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल औसत बारिश 87 सेंटीमीटर के दीर्घकालिक औसत का करीब 105 फीसदी रह सकती है। अल नीनो के प्रभाव की संभावना न के बराबर बताई गई है, जिससे अच्छी बारिश के संकेत मिल रहे हैं। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब देश के कई हिस्से भीषण गर्मी की चपेट में हैं।
किसानों के लिए खुशखबरी
बारिश का सीधा असर खेती पर पड़ता है, और भारत की लगभग 42.3% आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है। कृषि का GDP में 18.2% योगदान है और देश के लगभग 52% कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए बारिश ही प्रमुख स्रोत है। साथ ही, जलाशयों के भराव और बिजली उत्पादन के लिए भी मॉनसून अहम भूमिका निभाता है।
मॉनसून की शुरुआत कब होगी?
मौसम विभाग के अनुसार, मॉनसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल से देश में प्रवेश करता है और सितंबर के मध्य तक सक्रिय रहता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि पूरे देश में एक जैसी बारिश होगी। जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का स्वरूप भी बदल रहा है — भारी वर्षा की घटनाएं बढ़ी हैं जबकि बारिश के दिन घटे हैं, जिससे बाढ़ और सूखे की घटनाएं बढ़ रही हैं।
सावधानी भी जरूरी
IMD के मुताबिक, सामान्य बारिश का अर्थ है कि सीजन के दौरान कुल बारिश 96% से 104% के बीच रहे। इस बार उम्मीद है कि आंकड़ा 105% तक जा सकता है। यानी मॉनसून बेहतर रहेगा, जिससे जल संकट में राहत मिल सकती है। लेकिन बदलते मौसम और अनिश्चित बारिश को देखते हुए पानी का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करना भी जरूरी है।