नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा घोषित 2.7 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लाभांश ने सरकार के खजाने में जान फूंक दी है। एसबीआई की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, इस ‘बंपर बोनस’ से न केवल केंद्र की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, बल्कि देश की तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था को और भी रफ्तार मिलेगी।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कहा गया है कि आरबीआई से मिले इस अप्रत्याशित लाभांश से केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा घटकर जीडीपी का 4.2% हो सकता है—जो कि बजट अनुमानों से 0.2% कम होगा। इसका सीधा फायदा ये होगा कि सरकार लगभग 70,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने की स्थिति में आ जाएगी, वो भी अन्य किसी योजना को नुकसान पहुंचाए बिना।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में आरबीआई और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों से कुल 2.56 लाख करोड़ रुपये के लाभांश की उम्मीद जताई थी, लेकिन केवल आरबीआई से ही उससे अधिक—2.69 लाख करोड़ रुपये—मिलने की घोषणा हो चुकी है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 27.4% की बढ़ोतरी है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस अधिशेष भुगतान के पीछे कई कारक हैं—जैसे डॉलर की मजबूती के बीच विदेशी मुद्रा भंडार से की गई बिक्री, विदेशी मुद्रा से अर्जित लाभ और घरेलू-विदेशी बॉन्ड्स से बढ़ती ब्याज आय। जनवरी 2024 में, आरबीआई एशिया का सबसे बड़ा डॉलर विक्रेता था, और सितंबर में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
एसबीआई ने यह भी संकेत दिया है कि चालू वित्त वर्ष में नकदी की स्थिति अधिशेष में रहने की संभावना है। इसमें आरबीआई के खुले बाज़ार में खरीद (ओएमओ), लाभांश हस्तांतरण और 25 से 30 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन अधिशेष जैसी स्थितियां योगदान देंगी।
कुल मिलाकर, इस रिकॉर्ड लाभांश से न सिर्फ सरकार को खर्च करने की अतिरिक्त गुंजाइश मिलेगी, बल्कि यह भारत की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी साबित हो सकता है।
