नई दिल्ली। राज्यसभा ने बुधवार को आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक-2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक देश में आप्रवासन से जुड़े कानूनों को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए लाया गया है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को भारत में प्रवेश और प्रस्थान करने वाले व्यक्तियों से जुड़े पासपोर्ट, यात्रा दस्तावेजों और विदेशियों के नियमन से संबंधित कुछ विशेष अधिकार प्रदान करना है।
विधेयक के लागू होने पर यह मौजूदा चार कानूनों—विदेशियों विषयक अधिनियम-1946, आप्रवास (वाहक दायित्व) अधिनियम-2000, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम-1920 और विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम-1939—का स्थान लेगा। इसे लोकसभा पहले ही 27 मार्च को पारित कर चुकी है।
बुधवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इसे राज्यसभा में पेश किया। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि भारत में करीब 1 करोड़ 72 लाख अनिवासी भारतीय (NRI) हैं, और यह विधेयक उनके आने-जाने और अन्य संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए लाया गया है।
विधेयक पर चर्चा और प्रतिक्रियाएं
राय ने कहा कि यह कानून देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी को डराना नहीं चाहती, लेकिन उन लोगों को अवश्य डरना चाहिए जो भारत में आकर देश के खिलाफ षड्यंत्र रचते हैं।
उन्होंने बताया कि इस विधेयक से विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ेगा और डेटा प्रबंधन की जटिलता समाप्त होगी। इसमें विदेशियों के लिए भारत में प्रवेश और ठहरने के लिए वैध दस्तावेज अनिवार्य किए गए हैं। अप्रवास ब्यूरो इस संबंध में एकमात्र एजेंसी होगी, जिससे विदेशी नागरिकों को संपर्क करना होगा।
वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विदेशी नागरिकों को “संभावित अपराधी” के रूप में दर्शाने की कोशिश करता है और इसमें अपील, निगरानी और जवाबदेही जैसे जरूरी प्रावधानों की कमी है। उन्होंने इसे स्थायी समिति को भेजने की मांग की।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- भारत में प्रवेश, निवास या प्रस्थान के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा के उपयोग पर सात साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान।
- होटलों, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम को विदेशी नागरिकों की जानकारी देना अनिवार्य होगा ताकि ओवरस्टे करने वालों पर नजर रखी जा सके।
- केंद्र सरकार को ऐसे स्थानों पर नियंत्रण रखने का अधिकार मिलेगा जहां विदेशी नागरिकों की आवाजाही होती है।
- सरकार किसी परिसर को बंद करने, विशेष शर्तों के तहत उसके उपयोग की अनुमति देने या कुछ विशिष्ट श्रेणी के विदेशियों को प्रवेश देने से रोकने के आदेश जारी कर सकेगी।
इस विधेयक को लेकर संसद में बहस जारी रही, लेकिन अंततः इसे राज्यसभा से मंजूरी मिल गई।