रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (सीजीएमएससी) के चर्चित 660 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच तेज हो गई है। इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम गुरुवार को आईएएस भीम सिंह से पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसी ने सरकार से अनुमति मिलने के बाद आईएएस भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और पद्मिनी भोई को समन जारी किया था। इससे पहले, बुधवार को ईओडब्ल्यू ने सीजीएमएससी के पूर्व एमडी एवं आईएएस अधिकारी चंद्रकांत वर्मा से करीब छह घंटे तक पूछताछ की थी। वहीं, घोटाले में संलिप्त मोक्षित कॉर्पोरेशन के एमडी शशांक चोपड़ा पहले से ही जेल में हैं।
यह मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है, जिसमें दवा कॉर्पोरेशन, खाद्य एवं औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य संचालनालय के कई अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं। प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ को पत्र लिखा था। ऑडिट टीम ने वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान सीजीएमएससी द्वारा की गई दवा और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति से संबंधित दस्तावेजों की जांच की, जिसमें 660 करोड़ रुपये की खरीद बिना बजट आवंटन के की गई थी।
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जरूरत से ज्यादा केमिकल और उपकरण खरीदे गए और उन्हें अस्पतालों में जबरन खपाने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया। जिन अस्पतालों को विशेष केमिकल या उपकरणों की आवश्यकता नहीं थी, वहां भी इनकी आपूर्ति कर दी गई। प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इन सामग्रियों का वितरण दर्शाया गया, जिनमें से 350 से अधिक केंद्रों में न तो तकनीकी सुविधाएं थीं, न ही जनशक्ति और भंडारण क्षमता।
महालेखाकार की रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस शासनकाल में हुए इस घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और ईओडब्ल्यू ने 2023 में चिकित्सा उपकरणों और अभिकर्मक रसायनों की खरीद में कथित अनियमितताओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और चार निजी कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
एसीबी की प्राथमिकी के अनुसार, इन अनियमितताओं से राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। बिना आवश्यकता और उपलब्धता की पुष्टि किए चिकित्सा उपकरणों और अभिकर्मकों की खरीद घोटाले का अहम हिस्सा मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में 660 करोड़ रुपये के इस घोटाले का खुलासा प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें कांग्रेस सरकार के दौरान बिना बजट आवंटन के बड़े पैमाने पर चिकित्सा उपकरणों और अभिकर्मकों की खरीद का खुलासा किया गया है।