कानपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आज देश डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती मना रहा है, और इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कानपुर प्रांत कार्यालय ‘केशव भवन’ का प्रवेश उत्सव भी मनाया जा रहा है। यह संयोग है, क्योंकि डॉ. आंबेडकर और संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन हिंदू समाज की एकता और समानता के लिए समर्पित रहा। हालांकि डॉ. आंबेडकर ने अपने अंतिम दिनों में बौद्ध धर्म को अपनाया, लेकिन वे कभी भी एकता, समानता और बंधुत्व से विमुख नहीं हुए। डॉ. भागवत सोमवार को कानपुर में संघ के प्रांत कार्यालय के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
पांच दिवसीय कानपुर प्रवास पर आए डॉ. भागवत ने कहा कि संघ स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर काम कर रहा है, और डॉ. आंबेडकर भी इन्हीं सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने एक बार कहा था, “यह विचार हमने फ्रांसीसी क्रांति से नहीं लिया, बल्कि यह बुद्ध के विचार से लिया है।” डॉ. भागवत ने इसे जोड़ते हुए कहा कि यदि डॉ. आंबेडकर के विचारों को हम एक पैडल किक की तरह मानें, तो संघ वह स्टार्टर है। संघ एक जीवन और वातावरण है, जिसका उद्देश्य सभी को एक साथ जोड़ना है। डॉ. आंबेडकर ने जो कार्य किया था, संघ उसी कार्य को आगे बढ़ा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपना जीवन समाज के उत्थान के लिए समर्पित किया। दोनों ने हिंदू समाज में एकता और समानता के लिए काम किया। दोनों का लक्ष्य समान था, बस कार्य करने का तरीका अलग था। 1934 में डॉ. आंबेडकर एक बार संघ की शाखा में गए थे, और वहां उन्होंने कहा था कि कुछ मामलों में मतभेद होते हुए भी, वे संघ को अपनत्व के साथ देखते हैं। उनकी यह बात एक समाचार पत्र में भी प्रकाशित हुई थी। संघ एक भावना और एक जीवन है।