अमेरिकी बच्चों की सेहत गिरावट पर, नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

वॉशिंगटन/सैक्रामेंटो। अमेरिका में बच्चों की सेहत को लेकर एक नई रिपोर्ट ने खतरे की घंटी बजा दी है। अध्ययन में खुलासा हुआ है कि आज के बच्चे न केवल पहले से अधिक मोटे हैं, बल्कि गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों से भी ज्यादा जूझ रहे हैं। इसके चलते उनकी समय से पहले मौत का खतरा भी बढ़ गया है।

20 साल की सबसे बड़ी स्टडी
जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित इस रिपोर्ट को बच्चों की सेहत पर बीते दो दशकों की सबसे व्यापक स्टडी बताया जा रहा है। इसमें 2002 से 2023 तक के आठ राष्ट्रीय हेल्थ डेटा सेट के जरिए 170 से ज्यादा स्वास्थ्य संकेतकों का विश्लेषण किया गया।

बढ़ता मोटापा, बढ़ती बीमारियां
रिपोर्ट के मुताबिक, 2 से 19 साल के बच्चों में मोटापे की दर 2007-08 में जहां 17% थी, वहीं 2021-23 में यह बढ़कर 21% हो गई।
इतना ही नहीं, 2011 में जहां 40% बच्चों को किसी न किसी दीर्घकालिक बीमारी की पहचान मिली थी, 2023 तक यह आंकड़ा 46% तक जा पहुंचा। इनमें चिंता, डिप्रेशन और नींद की समस्याएं प्रमुख हैं।

दूसरे अमीर देशों से भी बदतर हालत
अमेरिका में बच्चों की मृत्यु दर अन्य विकसित देशों जैसे कनाडा, जर्मनी और जापान के मुकाबले करीब 1.8 गुना अधिक है। छोटे बच्चों में समय से पहले जन्म और अचानक शिशु मृत्यु के मामले बढ़े हैं, जबकि बड़े बच्चों में सड़क हादसे और चोटें मुख्य कारण बन रही हैं।

मानसिक स्वास्थ्य भी खतरे में
रिपोर्ट में चेताया गया है कि बच्चों में डिप्रेशन, अकेलापन, और शारीरिक गतिविधियों की कमी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे समाज में फैली समस्याओं को सबसे पहले और सबसे गहराई से महसूस करते हैं।

स्वास्थ्य बजट में कटौती से बिगड़ेंगे हालात
बाल रोग विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट में कटौती जारी रही, बुनियादी ढांचे में सुधार में देरी हुई, और टीकाकरण विरोधी सोच को बढ़ावा मिला, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

जड़ में कई समस्याएं
रिपोर्ट बताती है कि बच्चों की बिगड़ती सेहत की कोई एक वजह नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई कारक हैं—जैसे प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में कमी, असुरक्षित जीवनशैली और आर्थिक असमानता।

समाधान: सामूहिक जिम्मेदारी
रिपोर्ट के प्रमुख लेखक डॉ. क्रिस्टोफर फॉरेस्ट के अनुसार, अब वक्त आ गया है कि बच्चों की सेहत को केवल अस्पतालों की जिम्मेदारी न मानते हुए स्कूलों, घरों, परिवहन और सामाजिक सेवाओं के स्तर पर समग्र रणनीति बनाई जाए। अमेरिका स्वास्थ्य पर सबसे अधिक खर्च करता है, लेकिन अगर निवेश सही दिशा में न हो, तो नतीजे अच्छे नहीं होंगे।


निष्कर्ष:
यह रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों का एक दस्तावेज नहीं, बल्कि चेतावनी है—अगर हम अब भी नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियां और भी गंभीर स्वास्थ्य संकट से जूझेंगी।

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