AKSHAYA TRITIYA अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया: जानिए देशभर में कैसे मनाया जाता है यह शुभ पर्व और उसकी परंपराएं

अक्षय तृतीया, जिसे अखती या आख्या तीज भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए कोई भी कार्य निष्फल नहीं होते और उन्हें अक्षय फल की प्राप्ति होती है। यह पर्व धन, सौभाग्य और नए आरंभों का प्रतीक माना जाता है, और इस कारण देशभर में इसे विभिन्न परंपराओं के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। आइए, जानते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में अक्षय तृतीया को मनाने के अनोखे तरीके:

उत्तर भारत में अक्षय तृतीया

उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में अक्षय तृतीया को विवाह और शुभ कार्यों की शुरुआत का दिन माना जाता है। इस दिन विवाह के लिए विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। लोग कन्यादान, पुण्य दान और गंगा स्नान जैसे कार्य करते हैं। कई परिवारों में इस दिन सत्यनारायण की कथा और विष्णु पूजा का आयोजन भी किया जाता है। उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में इस दिन ठाकुर जी के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं, जो भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र बनता है।

पंजाब में अक्षय तृतीया

पंजाब, एक कृषि प्रधान राज्य, में इस दिन का विशेष संबंध खेती से है। यहां के किसान इस दिन को फसल की शुभ शुरुआत के रूप में देखते हैं। वे सुबह जल्दी उठकर खेतों में काम करने जाते हैं और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि अगर इस समय कोई पक्षी दिख जाए, तो उसे भगवान का रूप मानकर किसान उसे नतमस्तक होते हैं।

राजस्थान में अक्षय तृतीया

राजस्थान में इसे आखा तीज के नाम से जाना जाता है। इस दिन बच्चे पतंग उड़ाते हैं और विशेष पकवानों का आनंद लेते हैं। ग्रामीण इलाकों में इस दिन को खेत जोतने की परंपरा से भी जोड़ा जाता है। यह तिथि नए आरंभों का प्रतीक मानी जाती है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।

पश्चिम बंगाल में अक्षय तृतीया

पश्चिम बंगाल में अक्षय तृतीया को हलखता या हलबोझन के नाम से जाना जाता है। यह दिन व्यापार और निवेश से जुड़ा हुआ है। व्यापारी वर्ग इस दिन को अपने नए बही-खातों की शुरुआत करते हैं और लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं, ताकि उनके व्यवसाय में समृद्धि और सफलता बनी रहे।

महाराष्ट्र में अक्षय तृतीया

महाराष्ट्र में इस दिन लोग सोना, चांदी और अन्य धातु खरीदते हैं, ताकि घर में लक्ष्मी का वास बना रहे। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा होती है, और पितरों को जल अर्पण करने की परंपरा भी निभाई जाती है।

ओडिशा में अक्षय तृतीया

ओडिशा में अक्षय तृतीया को ‘अक्शया त्रितिया रथा’ कहा जाता है, और इस दिन किसान धान की बुआई शुरू करते हैं। इस दिन जगन्नाथ मंदिर पुरी में दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

इस प्रकार, अक्षय तृतीया देशभर में एक अद्भुत उत्सव के रूप में मनाई जाती है, जहां हर क्षेत्र की अपनी विशेष परंपराएं और मान्यताएं हैं, जो इस दिन को और भी खास बनाती हैं।

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