AMIT SHAH

संस्कृत को मजबूत करेंगे तो बाकी भाषाएं भी होंगी सशक्त: अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संस्कृत और भारतीय संस्कृति के पुनर्निर्माण के लिए संघ और संस्कृत भारती के साझा प्रयासों को सराहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी भाषा का विरोध नहीं करती, बल्कि सभी भाषाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है।

यह बातें शाह ने संस्कृत भारती द्वारा आयोजित 1008 संभाषण शिविरों के समापन समारोह में कही।

शाह ने कहा, “संस्कृत भारतीय भाषाओं की जननी है। जब संस्कृत मजबूत होगी, तब अन्य भाषाएं भी खुद को सशक्त महसूस करेंगी।” उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। साथ ही, नई शिक्षा नीति में भी संस्कृत के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

गृह मंत्री ने संस्कृत के महत्व को समझाते हुए कहा, “संस्कृत का अमृत ज्ञान अब सरल भाषा में पूरी दुनिया तक पहुंचाना बेहद जरूरी है।” साथ ही, उन्होंने सभी से अपील की कि संस्कृत के प्रचार में भागीदार बनें। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “इन शिविरों में हजारों लोगों ने भाग लिया, जो हमारी मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है।” मुख्यमंत्री ने संस्कृत को कठिन मानने के मिथक को तोड़ा और कहा, “संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, और आज दुनिया के 60 विश्वविद्यालयों में इसे पढ़ाया जा रहा है।”

संस्कृत भारती द्वारा 23 अप्रैल से 3 मई तक दिल्ली के 1008 स्थानों पर आयोजित इन शिविरों में 20,000 लोगों ने संस्कृत बोलने की कला सीखी। समापन समारोह 4 मई को दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ, जहां 5000 से ज्यादा लोग उपस्थित थे।

यह अभियान देश के विभिन्न संस्थानों और शिक्षाविदों के सहयोग से सफलता की ओर बढ़ा है।

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